परिवर्तन प्रकृति का नियम है… समाज बदलता है चेहरे बदलते हैं… मगर एक मानसिकता नहीं बदलती… इस तरह की परंपराओं, रीति-रिवाजों के चक्रव्यूह के साथ हमारी परवरिश होती है कि हम चाहकर भी इससे बाहर नहीं आ सकते।
– आस्था गंगवार ©
KUCH RANG ZINDAGI KE With astha gangwar
भावनाओ और अनुभवो की माला को शब्दो के मोती से पिरोती हूँ, जिन्दगी के कुछ पन्नो को कागज पर उकेर देती हूँ।कुछ बातें जिन्हें कह नहीं सकती उन्हें एक नया रूप देती हूँ, ऐसी ही किसी गहरी सोच के साथ एक नयी कविता लिख देती हूँ।
बहुत ख़ूब👌👌👌👌
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Right👍
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Yeah 🙂 thank you
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बिल्कुल सही कहा।
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जी… आभार आपका अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया देने के लिए 🙏
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😊👌👌🍫🎐🎐🎐🎐🎐❣️❣️❣️
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Gajab… Chocolate aur kya kya h ye kis khusi me itni achi bat khi maine kya 😀
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🍫🍫🍫😊maje karo chocolate kha ke… Bato me kya rakha he.. ❣️❣️🍫🍫😋😋
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Ji janab
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💖😊😊😊😊😊💖
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Bahut sahi likha ..👍👍
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🙏धन्यवाद
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True.
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sau fisad sahi kaha hai
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