काश, प्रभु मैं मीरा बन पाती
तुम्हारे चरणों में समर्पण कर पाती
जैसे सुध मीरा अपनी भूल गयी
तुम्हारी प्रीत में इतनी लीन हुयी
ऐसे संसार से विलग होकर
हर पहर तुम्हारी होकर
मैं भी चहुँ ओर तुमको पाती
तुम्हारे चरणों में समर्पण कर पाती
काश, प्रभु मैं मीरा बन पाती ।
दिन रैना सब बीते शरण तुम्हारे
हँसते हँसते पी गयी विष के प्यारे
अपनी पीड़ा से ध्यान हटाकर
प्रति क्षण तुम्हारे गीत गाकर
तुमको पीड़ा में पाती आनन्द उठाती
तुम्हारे चरणों में समर्पण कर पाती
काश, प्रभु मैं मीरा बन पाती।
– आस्था गंगवार ©
Amazing one 👌🏻👌🏻
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Thank you
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आप मीरा नहीं हैं तो क्या हुआ?,मीरा जैसे भाव तो आ ही गये हैं।
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Ji
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Bahut sundar abhivyakti.
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Dhanyabad
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kya kahen …..bahut hi sundar likha apne…umda.
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Sukriya 😊
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This is beautiful
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Thank you
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सुन्दर
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