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काश, प्रभु मैं मीरा बन पाती। 

काश, प्रभु मैं मीरा बन पाती  तुम्हारे चरणों में समर्पण कर पाती  जैसे सुध मीरा अपनी भूल गयी  तुम्हारी प्रीत में इतनी लीन हुयी  ऐसे संसार से विलग होकर  हर पहर तुम्हारी होकर  मैं भी चहुँ ओर तुमको पाती  तुम्हारे चरणों में समर्पण कर पाती  काश, प्रभु मैं मीरा बन पाती ।  दिन रैना सबपढ़ना जारी रखें “काश, प्रभु मैं मीरा बन पाती। “

ओ मेरे मनमोहना… 

ओ मेरे मनमोहना  तुम बिन जाऊँ कहाँ  रास न आये कोई बगिया  न ही भायें प्यारी सखियां  जमुना से है हाल भये  बरसों बीते दरस किये  आ जाओ श्याम रास रचैया  पार लगाओ मन की नैया  तुम बिन कटे न मेरी रैना  आये न एक पल भी अब चैना  विरह की दूरी सही न जाये पढ़ना जारी रखें “ओ मेरे मनमोहना… “

मेरा नन्हा कोमल बचपन कहीं खो गया। 

लाचारी, गरीबी की मार से  मेरा नन्हा कोमल बचपन कहीं खो गया।  है नहीं रहने को ठिकाना  फुटपाथ ही अब मेरा घर हो गया।  चाहिए था होना कन्धो पर किताबो का झोला  दो वक्त की रोटी का जुगाङ ही तकदीर बन गया।  मुझे भी चाहिए थी कलम औरो की तरह  ये सपना तो बस एकपढ़ना जारी रखें “मेरा नन्हा कोमल बचपन कहीं खो गया। “

मैं तो दीवानी हरि चरणन की। 

मैं तो दीवानी हरि चरणन की  मोहे जग की सुधि बुधि नाहीं  दुनिया को भूंलू तुझको निहारूं तुझपे ही अब मैं खुद को बारूं  तू ही तू बस मोहे याद आवे  तेरे ही धुन पर ये दिल गावे  जितना देखूं उतना खोती जाऊं  तेरी प्रीत में बाँबरी होती जाऊं  जहाँ से हारी दिल भी हारी पढ़ना जारी रखें “मैं तो दीवानी हरि चरणन की। “