मैं थोङी-थोङी हर रोज बिखरती जा रही थी
तू न होता तो अब तक जीना भूल जाती
मैं पलको के पीछे आँसुओ को छुपा रही थी
तू न होता तो शायद मुस्कुरा नहीं पाती
मैं नकाब के जैसे चेहरे पर चेहरा लगा रही थी
तू न होता तो खुद से खुद को मिला नहीं पाती
मैं अँधेरो में खोयी राहगीर बनी जा रही थी
तू न होता तो जिन्दगी में रोशनी नहीं आती
मैं तन्हाइयों की उदासीनता में खोती जा रही थी
तू न होता तो रंगो का मतलब नहीं समझ पाती
मैं दिल के तले अपनी ख्वाहिशो को दबा रही थी
तू न होता तो फिर से कोई आरजू जिंदा नहीं हो पाती
मैं हर शख्स को यहाँ झूठा समझती जा रही थी
तू न होता तो चाहत पर कभी ऐतबार नहीं कर पाती
मैं बीते कल को अपनी तकदीर बनाती जा रही थी
तू न होता तो लिखा पन्ना कभी कोरा नहीं कर पाती।
– आस्था गंगवार
beautiful
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Thank you
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bahut badiya poem
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Nice
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बहुत अच्छी कविता
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धन्यवाद
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जितनी खूबसूरत पिक्चर लगाई है उतनी ही खूबसूरत रचना प्रस्तुत की है आस्था जी,बहुत खूब!
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Thank you
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Welcome.
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ह्रदयस्पर्शी कविता…!
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Dhanyabad 😃
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Is it real life dedication? StrAight from heart hah?😊
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😛 😐
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Ha kuch aisa hi smjh lijiye
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Bahut khub ❤
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धन्यवाद
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Bahut khoob.
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