तेरा एहसास 

तुझको देखा तो मुस्कुराना आ गया 

बिन कुछ कहे सुने बोले बोलना आ गया 

बसता है इस रूह की गहराई में 

मेरे जिस्म के हर एक हिस्से में 

मेरे रोम -रोम मेरी हर साँस में 

जब भी देखा तो बस लिखना आ गया। 


कैसे कहूं क्या है अहमियत तेरी 

शब्द ही न मिले इस बात पर रोना आ गया 

इस एहसास को महसूस करूं 

लिखूं कि सहज कर रखूं 

या मन के बख्से में छुपा लूं कहीं हमेशा के लिए 

कुछ समझ भी न आया और 

बिन कुछ समझे सब समझना आ गया। 


जिन्दगी के सफर में जब भी ठोकर लगी 

गिरने से पहले तू हाथ थामने आ गया 

दिल का दर्द मोती बना जब भी 

आँसू बनके जज्बात बहे जब भी 

हौसला टूटकर बिखरने लगा जब भी 

देके आँखों में एक नया सपना 

उम्मीद की रोशनी से हर तरफ उजाला करने आ गया। 


लगा मुझे जब जब हूँ अकेले 

कभी फूलो की खुश्बू में 

कभी हवाओ के ठण्डे झोंके में 

हूँ आस पास तेरे एहसास कराने आ गया 

साथ खङा हूँ तेरे हर कदम 

है न तू अकेले कभी भी बताने आ गया। 


तुझसे जुङे विश्वास से 

मेरी जिन्दगी की हर एक लङाई में 

मजबूत हूँ एक योद्धा जैसे 

साथ तेरा मेरा जब तलक 

जब तक सृष्टि और मेरी रूह 

बैठी हूँ तुझको लिखने 

शब्दो से सामन्जस्य बनाने 

तुझे सहेजकर अपनी कला में आनन्द आ गया। 

        – आस्था गंगवार 


Astha gangwar द्वारा प्रकाशित

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