तस्वीर को गौर से देखो तो लगता है बोलती है। 

तस्वीर को गौर से देखो तो लगता है बोलती है 

अतीत का साया खुद में समेटे निःशब्द रहती है 

आँखों ही आँखों में हजार बातें करती है 

अनकहे पहलू समेटे बिल्कुल अंजानी लगती है 

सैकङो रंग भरे है तस्वीर में फिर भी उदासी झलकती है 

तस्वीर के हर रंग में खुद से जुङी निशानी दिखती है

जैसे किसी बीते कल के अफसाने को बयां करती है 

देखकर लगता एेसे जैसे मेरी ही कोई कहानी कहती है। 

-आस्था गंगवार 

Astha gangwar द्वारा प्रकाशित

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