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Category Archives: inspirational poem
मंजिलें क्षितिज की तरह होती हैं ।
मंजिल और आसान क्या मजाक हैमंजिलें क्षितिज की तरह होती हैजिनके होने का बस भ्रम होता हैमंजिल तक चलते चलते लगता हैकि बस चलते ही जा रहे हैमगर उस तक पहुंच नही रहे हैंज्यों ही लगता है कि पहुँच गयेत्यों ही मंजिल अपना रूप बदल लेती हैऔर जिंदगी धक्के मारकर कहती हैयह मंजिल नही हैंपढ़ना जारी रखें “मंजिलें क्षितिज की तरह होती हैं ।”
मेरे गूंगे शब्द
शून्य का रंग
जब तलक चोट न लगे।
जब तलक चोट न लगे, मन गान नहीं करता। कलम प्यासी है लिखने को, मगर ये पथ आसान नहीं लगता। -आस्था गंगवार ©
हर रोज देश गन्दा करेंगे।
हर रोज देश गन्दा करेंगे, मगर आज देशभक्ति दिखायेंगे। हर रोज नारी का अपमान करेंगे, तो बताओ आज कैसे भारत माँ का सम्मान बढायेेेगें। हर रोज क्रांतिकारियों का नाम सुनकर रक्त ठंडा पड़ा है, तो फिर आज एक दिन में लहु कैसे उफनायेंगें। हर रोज प्रति क्षण न जाने कितनी औरतें अपनी आबरू खोती है, पढ़ना जारी रखें “हर रोज देश गन्दा करेंगे। “
नारी का स्थान।
यदि एक औरत अपने आत्मसम्मान के लिए अपने जीविकोपार्जन के लिए स्वयं काम करने का जिम्मा लेती है सिर उठाकर चलती है अपनी मर्ज़ी से जीती है तब तमाम दूसरी औरतें जो घर बैठकर पति की कमाई पर फूलती है उस एक औरत के खिलाफ दुनियादारी की अफवाहें फैलाती है उसको हीनता की दृष्टि सेपढ़ना जारी रखें “नारी का स्थान। “
जो चोट खाकर बैठे है।
जो चोट खाकर बैठे है वो शायर बन बैठे है टूटे दिल के सारे टुकड़े अल्फाजो से जोड़ बैठे है हाल ए दिल जमाने में सुनाने और जाये कहां कोरे पन्नो के सिवा सब मशरूफ बैठे है कोई मशगूल है खुद में कोई किस्मत का मारा है एक टूटा दिल लेकर के फिरता है तोपढ़ना जारी रखें “जो चोट खाकर बैठे है। “
कैसे लिख दूँ।
कैसे लिख दूँ प्रेम गीत आज, कल रोते बचपन को देखा था। उसकी पीड़ा लेकर फिरती हूँ, जिसे एक एक निवाले को तरसते देखा था। आँखों में न जाने कितनी उम्मीदें थीं, उसको आते जाते चेहरों को पढ़ते देखा था। कल क्या होगा कैसे सोचती, आज क्या खायेगी इस चिन्ता में जीते देखा था। कैसेपढ़ना जारी रखें “कैसे लिख दूँ। “
हां मैंने जिन्दगी जीना सीख लिया।
लङखङाते कदमो को संभालना सीख लिया बहते आँसुओ को थामना सीख लिया खामोश रहकर पीङा को सहना सीख लिया दर्द की बारिश में मुस्कुराना सीख लिया हां मैंने जिन्दगी जीना सीख लिया। कश्मकस के चक्रवात में ढलना सीख लिया चुनौती की आँधियो संग बहना सीख लिया निराशा की धुंध में आशा को पिरोना सीख लिया पढ़ना जारी रखें “हां मैंने जिन्दगी जीना सीख लिया। “