जिस क्षण तुम मुझे स्वयं से अलग करो,
वह मेरे जीवन का अन्तिम क्षण हो।
न चाह रहे फिर कुछ पाने की,
मृत्यु पार भी सिर्फ तुम ही तुम हो।
विलग होकर तुमसे मिले अमरता,
हँसकर वह भी मुझे अस्वीकार हो।
या दे ईश्वर सारा जग मुझको तुम बिन,
कोई स्वार्थ कभी न तुमसे बढ़कर हो।
प्रेम में तुम पर मेरा सब न्योछावर,
तुम्हारी पीड़ा पहले मुझको हासिल हो।
कभी न तुम तक पहुंच सके कोई दुख,
बस तुम्हारी मुस्कान हो मेरा जीवन हो।
-आस्था गंगवार ©
Bhut sunder…
Prem tbi sachha hota agr wo niswarth ho..
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
धन्यवाद, जी हाँ जहां समर्पण वहीं प्रेम है और समर्पण वहीं हो सकता है जहां स्वार्थ न हो।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Shi kaha aapne..
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Simply BEAUTIFUL.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thank you
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति