तुम्हारी ख्वाहिशों की तलब कुछ यूं लगी
अपनी फरमाइशों को दिल में ही दबा लिया
तुम्हारे पीछे कई दफा फूट कर रो लिये
सामने खामोशी से हर गम को छुपा लिया ।
-आस्था गंगवार
KUCH RANG ZINDAGI KE With astha gangwar
भावनाओ और अनुभवो की माला को शब्दो के मोती से पिरोती हूँ, जिन्दगी के कुछ पन्नो को कागज पर उकेर देती हूँ।कुछ बातें जिन्हें कह नहीं सकती उन्हें एक नया रूप देती हूँ, ऐसी ही किसी गहरी सोच के साथ एक नयी कविता लिख देती हूँ।
तुम्हारी ख्वाहिशों की तलब कुछ यूं लगी
अपनी फरमाइशों को दिल में ही दबा लिया
तुम्हारे पीछे कई दफा फूट कर रो लिये
सामने खामोशी से हर गम को छुपा लिया ।
-आस्था गंगवार
गहरी बात
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माशाह अल्ला !! क्या खूब फरमाया है।।
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बहुत शुक्रिया
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Beautiful as always!!
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