एक बार सेहर में लबों से मेरा नाम कह देते,
रात तो मुकम्मल हो ही गयी थी दिन भी मुकम्मल हो जाता।
आस्था गंगवार ©
KUCH RANG ZINDAGI KE With astha gangwar
भावनाओ और अनुभवो की माला को शब्दो के मोती से पिरोती हूँ, जिन्दगी के कुछ पन्नो को कागज पर उकेर देती हूँ।कुछ बातें जिन्हें कह नहीं सकती उन्हें एक नया रूप देती हूँ, ऐसी ही किसी गहरी सोच के साथ एक नयी कविता लिख देती हूँ।
wah kya khub kaha bahut khub
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Sukriya janab apka 🙏
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Waaah ,😊👍👌
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वाह, एक रंग यह भी है ज़िन्दगी का
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