सोये भी उनको याद कर थे,
जागकर भी उन्ही का चेहरा तलाशते हैं।
अभी उनसे ख्वाब में मिलकर आये हैं,
अब फिर बेकरार मिलने को तरसते हैं।
-आस्था गंगवार ©
KUCH RANG ZINDAGI KE With astha gangwar
भावनाओ और अनुभवो की माला को शब्दो के मोती से पिरोती हूँ, जिन्दगी के कुछ पन्नो को कागज पर उकेर देती हूँ।कुछ बातें जिन्हें कह नहीं सकती उन्हें एक नया रूप देती हूँ, ऐसी ही किसी गहरी सोच के साथ एक नयी कविता लिख देती हूँ।
Bhut khoob !
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Sukriya
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बहुत खूब आस्था जी
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शुक्रिया 😊
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Bahut badhiya….
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धन्यवाद
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Kya baat hai
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Sukriya 😊
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सोये भी उनको याद कर थे?
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😀
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