हर रोज देश गन्दा करेंगे,
मगर आज देशभक्ति दिखायेंगे।
हर रोज नारी का अपमान करेंगे,
तो बताओ आज कैसे भारत माँ का सम्मान बढायेेेगें।
हर रोज क्रांतिकारियों का नाम सुनकर रक्त ठंडा पड़ा है,
तो फिर आज एक दिन में लहु कैसे उफनायेंगें।
हर रोज प्रति क्षण न जाने कितनी औरतें अपनी आबरू खोती है,
और आज वही बलात्कारी तिरंगा फहरायेंगें।
हर रोज भ्रष्टाचार गली के मोड़ पर मिल जायेगा,
मगर आज सब काली करतूत वाले सफेद कुर्ते संग तीन रंग वाले डुपट्टें में नजर आयेंगे।
हर रोज नजर आती है जंजीरों में जकङ़ी मानसिकता,
तो क्यों आज स्वतंत्रता का झूठा जश्न मनायेंगे।
हर रोज बिलखता है भविष्य नगर के चौराहों पर,
दो वक्त की रोटी और शिक्षा दे न सके तो कैसे तिरंगे का मान बनायेंगे।
शिक्षित होकर जब अपनी कुंठित मानसिकता बदल न सके तो क्या बच्चों को सिखायेंगे।
हर रोज आजादी मनाने का प्रण ले नहीं सकते,
तो क्यों सिर्फ आज औपचारिकता निभायेंगे।
हर रोज जो हम देखते हैं मैं उस आयने से मिलवाने की कोशिश कर रही,
जिससे वाकिफ तो सब है मगर कहने की हिम्मत नहीं कर पायेंगे।
-आस्था गंगवार ©
bahut khub ….bilkul sahi likha…..
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Jordaar prahaar !
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Dhanyabad
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Nice
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thank u
पसंद करेंपसंद करें
सोचने पर मजबूर करने वाली लाइन
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
जी
पसंद करेंपसंद करें