यदि एक औरत
अपने आत्मसम्मान के लिए
अपने जीविकोपार्जन के लिए
स्वयं काम करने का जिम्मा लेती है
सिर उठाकर चलती है
अपनी मर्ज़ी से जीती है
तब तमाम दूसरी औरतें
जो घर बैठकर
पति की कमाई पर फूलती है
उस एक औरत के खिलाफ
दुनियादारी की अफवाहें फैलाती है
उसको हीनता की दृष्टि से देखती है
समाज में उठना बैठना दूभर करती है
वास्तविकता से परिचित होते हुए भी
उसके चरित्र पर उंगली उठाती है
अब असल मसला यह है
औरत ही औरत को नहीं सुहाती है
वह यह नहीं जानती है
इन मूर्खतापूर्ण कथनात्मक गतिविधियों से
वह समाज में सम्पूर्ण नारी जगत का स्थान गिराती है।
-आस्था गंगवार ©
bahut hi umda post rahi sach kaha apne Astha ji bahut khub
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Sukriya apka
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Umda post……bilkul sahi hai naari biksit samaaj biksit…..nari kaa dushman jyadatar nariyaan hi hain….chahe dahej ya aur bhi koyee maslaa ho ……bahut khub.
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बहुत धन्यवाद आपका…
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बहुत ही अच्छा लगा पढ़कर।
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धन्यवाद
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मेरे ख़्याल से वो औरतें खुद एहसास ऐ कमतरी की शिकार हैं जो दूसरों के चरित्र पर उंगलियां उठाती हैं।
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जी जनाब…
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कविता पढ़ने और उसका अभिमूल्यन करके टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद
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Haan soch Abhi narrow hi Hai bhut logo ki aur ye soch Kisi ki b ho skti Hai chahe vo male ho ya female
Btw written well
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Ha lekin aurte is kam me jyada age h… Thanks for reading
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😂😂agr ise Mai god gifted quality bolun to mujhe sexist krar naa mile
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😀
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