जो चोट खाकर बैठे है
वो शायर बन बैठे है
टूटे दिल के सारे टुकड़े
अल्फाजो से जोड़ बैठे है
हाल ए दिल जमाने में
सुनाने और जाये कहां
कोरे पन्नो के सिवा
सब मशरूफ बैठे है
कोई मशगूल है खुद में
कोई किस्मत का मारा है
एक टूटा दिल लेकर के फिरता है
तो दूजे टूटे दिल का सौदा करने को बैठे है
आशिकी में है बस दर्द ही दर्द
खुशी का नाम झूठा है
जिसने की वो तो लुट ही गया
जिसने ना की वो करने को बैठे है
मालूम है कि दर्द ही मिलना है
मुकम्मल हो भी नहीं सकती
साथ छोङ चाहने वाले का
मुकद्दर का हाथ थामे बैठे है
अजीब है ये खेल जज्बातो का
साँसे तो आती जाती है
मगर किसी और के नाम से
ना जाने किसका दिल सीने में छुपाये बैठे है।
-आस्था गंगवार ©
नाज़ुक और मर्मस्पर्शी! बहुत खूब
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
बहुत धन्यवाद 😊 आपका… बस वास्तविकता दर्शाने की एक छोटी सी कोशिश है…
पसंद करेंपसंद करें
वास्तविकता के कई आयाम होते हैं आस्था जी, मन किस पहलु पर जाकर टिकता है, यह मुद्दे की बात है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
जी ये भी सच है….
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Marmsparshi….laajwaab.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sukriya
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Reblogged this on Random ThoughtS and commented:
kya baat !
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
bahut hi khubsurat dil chhu gaya
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Dhanyabad
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
उम्दा👌👌
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
शुक्रिया 😊
पसंद करेंपसंद करें
😀😀khud par hasi a gyi Kavita pdhte pdhte !
Jajbaat sunne Wala JB koi aas paas nhi hota to shabdon k Roop Mei vo sv kavita ya Shayari BN jate Hai ye kafi natural Hai
Bhut achhi Kavita Hai
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
😀mujhe b hsi a gyi comment sunke… Thank you 😊
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
😀
पसंद करेंपसंद करें
अति सुंदर कविता दिल को छु गई धन्यवाद
पसंद करेंपसंद करें
bahut khoob
पसंद करेंपसंद करें