खिङकी से दबे पाँव
भरी दोपहरी बिन अनुमति
चला आया गर्म हवा का स्पर्श
आकर ठहर गया गालों पर
आँखें मूँदे बैठी थी तुम्हारी याद लिए
लगा जैसे छुआ तुम्हारे हाथों ने
तुम चले आये हो झोंके संग
खिल गयी मुस्कान अधरो पर
दूर से तुमको आज बङा करीब पाया।
-आस्था गंगवार ©
Bahut sundar…👌👌👌
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👌👌👌
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सुंदर
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धन्यवाद
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स्वागत
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Waah bahut khoob
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Shukriya archana 🙂
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