मेरी कविताएं
कहीं भीड़ में
किसी चौराहे पर
आते जाते वाहनों की तरह
कुछ पल ठहरकर
दूसरी राह पकड़कर
कहीं गुम न हो जायें
मुझे डर है।
मशरूफियत बहुत है
जिन्दगी भी मुश्किल है
खुद को पढ़ने के लिए
जज्बातों को समझने के लिए
उलझी कड़ियां सुलझाने के लिए
वक्त कमतर है
इस मशगूल सफर में
अल्फाजो से मेरा रिश्ता
कहीं कमजोर न पड़ जाये
मुझे डर है ।
–आस्था गंगवार ©
👌👌
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😃🙏
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बहुत खूब बहुत ही अच्छा लिखा है आपने।
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बहुत धन्यवाद 😊
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kahin bhi gum ho jaaye koyee baat nahi……kisi ek ne padhaa aur samjhaa kafi hai…..bahut khub……..
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बहुत धन्यवाद आपका… आप सभी का प्रोत्साहन मुझे लिखने के लिए और प्रेरित करता है
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Bhut khub
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👌
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Vocharon Mei gahnta !
Wow
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Thank you
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Vicharon*
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