तुम्हारी याद आँखों से,
मोती बन गालों पर लुढ़क गयी।
थोड़ा फिर चली दो कदम,
लबों पर आकर ठहर गयी।
तुम्हारी नादान बातें,
निकली पिटारे से हर तरफ बिखर गयी।
जिन्हें सुनकर मैं कहती थी,
चुप रहो आज उन्ही से निखर गयी।
-आस्था गंगवार ©
KUCH RANG ZINDAGI KE With astha gangwar
भावनाओ और अनुभवो की माला को शब्दो के मोती से पिरोती हूँ, जिन्दगी के कुछ पन्नो को कागज पर उकेर देती हूँ।कुछ बातें जिन्हें कह नहीं सकती उन्हें एक नया रूप देती हूँ, ऐसी ही किसी गहरी सोच के साथ एक नयी कविता लिख देती हूँ।
Behad khoobsoorat likha hai astha.
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धन्यवाद आपका 😊
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😀
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Bahut khubsurti se kikha hai…..
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Sukriya
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ATI Sundar
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Dhanyabad 😊
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तुम्हारी याद आँखों से,
मोती बन गालों पर लुढ़क गयी।
थोड़ा फिर चली दो कदम,
लबों पर आकर ठहर गयी।
bahut hi khubsurat Astha ji
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Sukriya
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behad sundar
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Dhanyabad 😊
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