रात तेरी यादों संग। 

रात तेरी यादों संग कट जाती है,

दिन मेरा संग तन्हायी के गुजर जाता है। 

जब संभाले नहीं संभलता ये सफर, 

तब तू आकर कहीं से आहट दे जाता है। 

खिल जाती है तबस्सुम लबों पर, 

मसर्रत से जब तेरा लम्स याद आ जाता है। 

बिखरी साँसे महकने लगती है, 

बंजर जमीं पर चाहत की जब तू बूँदे गिराता है। 

बेजान मौसम के रूख बदलने लगते हैं, 

जब पतझङ में सावन की बहारें लाता है। 

     -आस्था गंगवार © 

Astha gangwar द्वारा प्रकाशित

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