रात तेरी यादों संग कट जाती है,
दिन मेरा संग तन्हायी के गुजर जाता है।
जब संभाले नहीं संभलता ये सफर,
तब तू आकर कहीं से आहट दे जाता है।
खिल जाती है तबस्सुम लबों पर,
मसर्रत से जब तेरा लम्स याद आ जाता है।
बिखरी साँसे महकने लगती है,
बंजर जमीं पर चाहत की जब तू बूँदे गिराता है।
बेजान मौसम के रूख बदलने लगते हैं,
जब पतझङ में सावन की बहारें लाता है।
-आस्था गंगवार ©
रात तेरी यदो संग ……. वाह
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शुक्रिया 😊
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Maine apke blog pe comment kiya ho ni rha… 😒
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Shukriya samay nikalne ke liye …….. shayad approved hone ke bad dikhta hai
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Ha mujhe lga tha approval comment lga rkha hoga….
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वाह –बहुत खूब।
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धन्यवाद 😊
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Jabardast , beautifully penned 👌🏻
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Thank you 😊
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