एक कवि की संवेदना
जो है सीमा से परे
दूसरों की पीङा में भी
अपने दर्द से रहते हैं जुड़े
सामान्य परिस्थिति को भी
असाधारण नजरिये से देखते
जो कोई नहीं देख पाता
वो दृश्य कविता बनकर उभरते
हर लम्हे को थामकर कागज पर
शब्द बनाकर कैद करते
भावनाओं के संसार में खोकर
जीवन का नया अनुभव करते
प्रकृति के हर सौन्दर्य में
काव्य रस नजर आता
संसारिक जीवन से विलग
अपना काल्पनिक संसार भाता।
-आस्था गंगवार ©
लाजवाब रचना
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धन्यवाद आपका
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This one is FANTASTIC. Awaiting some more.
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ब्यूटीफुल।
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बहुत दिनों से आपने कुछ लिखा नही।
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Bahut kuchh likha hai janab bs post ni kiya aur ab kb krege pta hi ni
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ऐसा क्यों।
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