शब्दों का पर्याय नहीं मालूम,
और कविता लिख रहे हैं।
कविता है दर्पण अन्तर्मन का,
लिखकर अब भावनाओं से मुकर रहे हैं।
अगर काव्य शब्द मिथ्या है,
तब क्यों बार-बार ये गुनाह कर रहे हैं।
जब ह्दय में भावना कुछ और है,
तब क्यों शब्द कुछ और कह रहे हैं।
-आस्था गंगवार ©
शब्दों का पर्याय नहीं मालूम,
और कविता लिख रहे हैं।
Bhut khoob
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धन्यवाद
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कविता है दर्पण अन्तर्मन का,
लिखकर अब भावनाओं से मुकर रहे हैं। …..बहुत ही बढ़िया—-
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बहुत धन्यवाद आपका
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अगेन ब्यूटीफुल
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