देखकर सामने तुमको
हम जमाना भूल जाते है
एक बस तुम याद रहते हो
बाकी सब फसाना भूल जाते है।
सोचकर आये थे
थोड़ा नाराज हो लेंगे
देखकर सामने तुमको
सब शिकायत भूल जाते है।
एक बस साथ तुम देना
खुशी गम सब सह लेंगे
जबसे चुना है हमसफर तुमको
किसी और को देखने से कतराते है।
बन गये हो जिन्दगी मेरी
तुमको खोने के ख्याल से डर जाते है
रखे सलामत रब तुझे
हर घड़ी मन में यही दोहराते है।
-आस्था गंगवार ©
वाह बहुत खूब
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शुक्रिया
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बहुत प्यारी कविता लिखी है आस्था आपने
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बहुत बहुत धन्यवाद आपका
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Wah…bahut sundar..likha apne
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बहुत धन्यवाद आपका
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बहुत खूब! आस्था👌😍😘
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बहुत धन्यवाद आपका
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वंडरफुल
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धन्यवाद आपका
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बहुत खूब
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धन्यवाद
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apki kavita ki bhasha bahut saral or sahaj hai jisse apki kavita ko or khubsurat ho jati hai
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शुक्रिया
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