अब ये पंछी कहाँ रहेगे
मधुवन की तलाश में कहाँ फिरेंगे
तिनका-तिनका जोङ जोङकर
उसने अपना महल बनाया
एक वृक्ष की शाखा तले
फिर उसको लटकाया
बिन आंधी तूफान के
उनके घरौंदे तोङो ना
मतवारे इन पंछी को
पिंजरे में पकङो ना
उनके नाजुक पंखो को
जंजीरों में जकङो ना
उन्मुक्त गगन में हर्ष से
स्वछंद विचरने दो ना
उनकी छोटी सी दुनिया में
उनको थोड़ा खुश रहने दो ना।
-आस्था गंगवार ©
Astha, this is one of your best composition. Keep it up.
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Thank You so much abhay 😊
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Bahut badhiya!
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धन्यवाद
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kyaa baat …..bahut gahraa dard bol gaye…………jiske mahal ko bade bade aandhi nahi hilaa paate swaarth use ukhaad fektaa hai
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बस एक छोटी सी कोशिश की है कविता के माध्यम से इस अनदेखी पीङा को समझने की।
बहुत धन्यवाद आपका 😊
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Aapko bhi
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Bhut acha lga…
Kash hr pachi ka ghar hmesha aabad rhe
Bhut achi kavita
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धन्यवाद आपका
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क्या कहु बहोत ही सुंदर हे ।💞👌💐
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धन्यवाद
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