हवा के झोंके संग
खेलती, अठखेलियां करती
लहराये जब जब पताका
लगे ऐसे मुझे जैसे
लहराता हो मेरा मन।
सुनकर मधुर संगीत
झंकृत होते झोंको की धुन पर
मुस्कुराये कलियाँ, फूल
शाखाएं, पर्ण डोले ऐसे
जैसे डोलता हो मेरा मन।
गगन भी खुशी से
नीला सफेद हुआ जाये
ढलती शाम के झरोखे में
बादलों के सैर करते टुकड़े
उन टुकड़ों की ओट से
शर्मीला चाँद झांके ऐसे
जैसे झाँकता हो मेरा मन।
चहकते, गाते संगीतमय
पंछियो के झुंड
लौटते अपने बसेरों को
केसरिया बदरी के
बीच से गुजरते ऐसे
जैसे गुजरता हो मेरा मन।
-आस्था गंगवार ©
क्या बात——मन ——-
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
😊धन्यवाद
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सुंदर रचना
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
धन्यवाद
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
ब्यूटीफुल
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति