हिन्दी में हो या उर्दू में हो
बस बात होनी चाहिए
बाँट दिया है भाषा को भी
धर्म के ठेकेदारों ने
कहते हैं हिन्दी की जात हिन्दू
और उर्दू मुसलमान होनी चाहिए।
अब उन कहानीकारों
शायरों, कवियों का क्या
जो लिखते हैं साथ मिलकर
भाषा से परे जज्बातों को
इनको तो भाषाद्रोही
या फिर देशद्रोही होना चाहिए।
कौन समझाये उग्रवादियों को
जिनका ईमान ही है बेईमान
छिपते है जो धर्म की चादर तले
खेलते हैं मजहब के नाम पर
मासूम की जिंदगानियों से
ऐसे संकीर्णतावादियों को
इंसान ही नहीं होना चाहिए।
-आस्था गंगवार ©
Sahi kaha sir ji 😊😊
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Madam 😀
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Sry 😊😊
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Superb.
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U r right 👍
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Nyc
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Bhut acha likha h
Urdu hindi ki chhoti bhen jesi h
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Ji janab…
Dhanyabad 😃
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निर्पेक्षता धर्म की नहीं कर्म की होनी चाहिए
मैं सहमत आप के भावो से
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