मैं थी एक श्वेत कैनवास
तुम चित्रकार बनकर आ गये
बेरंग पङे थे तन्हा रंग
तुम अपना छायाचित्र बना गये
मैं पङी थी अधूरी कहीं जहाँ से
तुम मुझको पूर्ण बना गये
नजर तुम्हारी क्या पङी
रंग नया जीवन पा गये
भरकर रंगीले ख्वाब रंगों से
उदासीन जीवन की काली छाया मिटा गये।
– आस्था गंगवार ©
Beautiful as always.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thank you
पसंद करेंपसंद करें
Bahut khub
पसंद करेंपसंद करें
उत्तम
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
शुक्रिया
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
सुन्दर सूक्ष्म रचना
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
धन्यवाद 😊
पसंद करेंपसंद करें