वो मेरे दिल से वाकिफ
मैं उसकी रूह से वाकिफ
होती कुछ पल की तकरार
फिर उमङता बेइंतहा प्यार
इश्क है बंदिशो से आजाद
शब्दो से नहीं होता उसे आघात
मोहब्बत की नहीं कोई परिभाषा
एहसास ही है उसकी भाषा
जो दो दिल है समझते
एक दूसरे को है लिखते पढते
ये जिस्म है बस एक जरिया
रूह ही है असली दरिया
जहाँ गिरकर नहीं कोई निकलता
सुकून बस डूबकर ही है मिलता
जमाने की नहीं जिसे परवाह
चाहत ही है जहाँ दरगाह
मैं ऐसे इश्क से वाकिफ
ऐसा इश्क मुझसे वाकिफ…..
-आस्था गंगवार ©
Wah wah
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शुक्रिया
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बहुत ही सुन्दर रचना
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धन्यवाद
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Bahut ache
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खूब सुन्दर
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धन्यवाद
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अकाट्य सत्य है….
One who really love knows it..
Right??
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Yeah right… 😊👍
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Beautifully expressed… 🙂
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Thank u
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Bahut sundar 🙂
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Sukriya
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वाह …
“ये जिस्म है बस एक जरिया
रूह ही है असली दरिया ”
बहुत खूब !
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शुक्रिया 😊
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🙏 🙂
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Khub Surat
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शुक्रिया
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Me aapke alfaz chura ke tweet kar sakta hu?
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Alfaj mere h to credit b mujhe hi milna chahiye tweet krne pe 👍
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Okay as your wish aap hai tweeter pe?
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Yeah I m
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Name kya hai?
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Beautiful
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Thank you
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