प्रियवर हम तुम्हे अपने अस्तित्व का दर्पण बनाये बैठे है। 

हम तुम्हारे प्रेम में खुद को भुलाये बैठे है 

प्रतीक्षा में चौखट पर नयन टिकाये बैठे है 

ह्दय के पटल पर तुम्हारी छवि बसाये बैठे है 

प्रियवर हम तुम्हे अपने अस्तित्व का दर्पण बनाये बैठे है।


जीवन की कश्ती में हम तुम्हे मांझी बनाये बैठे है 

अपनी खुशियो के समुन्दर में हम तुम्हे पतवार दिये बैठे है 

तुम्हारी स्मृति में अश्रुओं से गालो को भिगाये बैठे है 

प्रियवर हम तुम्हे अपने अस्तित्व का दर्पण बनाये बैठे है।


कैसे चले तुम बिन हम तुम्हे अपनी मंजिल का हमराही बनाये बैठे है 

शब्द हमारे और अधरो पर गीत तुम्हारे सजाये बैठे है 

हमारी आती जाती साँसो पर तुम्हे अधिकार दिये बैठे है

प्रियवर हम तुम्हे अपने अस्तित्व का दर्पण बनाये बैठे है।


शरीर से परे प्रेम को आध्यात्मिक बनाये बैठे है 

संसार से भटकते मन को तुम पर जमाये बैठे है 

ह्दय की पीङा को तुम्हारी प्रीत के तले दबाये बैठे है 

प्रियवर हम तुम्हे अपने अस्तित्व का दर्पण बनाये बैठे है।


ह्दय में दो आत्माओ के मिलन का अमर संगम बनाये बैठे है 

मिलकर तुमसे मानो साक्षात ईश्वर से मिल बैठे है 

अपने सम्पूर्ण जीवन को हम तुम्हारे नाम किये बैठे है 

प्रियवर हम तुम्हे अपने अस्तित्व का दर्पण बनाये बैठे है। 

        -आस्था गंगवार © 

Astha gangwar द्वारा प्रकाशित

its me astha gangwar . I m founder of this blog. I love to write poems... I m a student of msc to chemical science.... read my poems on facebook - https://www.facebook.com/asthagangwarpoetries/ follow me on - I'm on Instagram as @aastha_gangwar_writing_soul

12 विचार “प्रियवर हम तुम्हे अपने अस्तित्व का दर्पण बनाये बैठे है। &rdquo पर;

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

%d bloggers like this: