साया कितना भी साथ चले तेरे,
अँधेरा होते ही साथ छोङ जाता है।
कोई नहीं साथ देता उम्र भर,
दिल से चाहने वाला भी बदल जाता है।
हर कोई मतलब देखता है अपना,
सब कुछ दे दो इंसान फिर भी काफिर हो जाता है।
लेना और देना तो रीत है दुनिया की,
मुफ्त में कोई कुछ नहीं लुटाता है।
बदले में चाहिए इश्क को बफा,
न दो तो बेबफा का तमगा मिल जाता है।
दो दिल एक धङकन होने की बात करते है,
बिन कहे मेरा दर्द भी नजर नहीं अाता है।
उन दोस्तो से तो दुश्मन बहुत बेहतर है,
जो बुरे वक्त में गिले शिकवे भुलाकर साथ खङा हो जाता है।
खुद के और खुदा के सिवा कोई नहीं है मेरा,
अपना होने की बात करने वाला भी मुफलिसी में अजनबी हो जाता है।
-आस्था गंगवार
Very hearty….
पर जब तक किसी के साथ ऐसा हो ना वो इस बात पर विश्वास नहीं कर पाता
पंकज उधास जी की गज़ल याद आती है..
“साया बनकर साथ चलेंगे, इसके भरोसे मत रहना..
अपने हमेशा अपने रहेंगे इसके भरोसे मत रहना।।”
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Ha ji Sukriya 😊……
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बदले में चाहिए इश्क को बफा,
न दो तो बेबफा का तमगा मिल जाता है।
.this line 😂👏👏
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Thank u
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Beautiful
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Thank u
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” अंधेरों से पता रौशनी का पूछना पडेगा,
साया भी अपना यहाँ पर ढूँढना पडेगा ! ”
मिलन
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बहुत सुन्दर पंक्तियां 🙂
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शुक्रिया आस्था
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Wooow Astha😘😘
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Thank You
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Shi …nice poem.. beautiful
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Thank u
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Wlcm
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Super kavita h priye kavitri astha gangwar ji
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