सुगन्धित हो उठता मेरा जीवन
खिल उठता मेरा यौवन
बढ जाता मेरे ह्दय का स्पन्दन
जब भी तेरा विचार आता है।
छा जाते है तेरी स्मृति के घने बादल
ठहरता नहीं एक पल मेरा आंचल
मन लेकर हिलोरे हो उठता चंचल
जब भी तेरा विचार आता है।
नयन बरसते ऐसे जैसे बरसता अम्बर
प्रेम समाये मुझमे ऐसे जैसे गागर में सागर
स्वप्न सजने लगते तुझ संग हर क्षण
जब भी तेरा विचार आता है।
बदन में छाती स्फूर्ति की नयी उमंग
उङता ह्दय जैसे आंसमाँ में कटी पतंग
हो उठती तरंगित जैसे समुन्दर में तरंग
जब भी तेरा विचार आता है।
भूल जाती हूँ समाज की हर एक रीत
मन गाता प्रति पल तेरे ही गीत
ह्दय कहता तू ही है मेरा मीत
जब भी तेरा विचार आता है।
-आस्था गंगवार
wonderful
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Thank u
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Sundar rachna
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धन्यवाद
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Such a beautiful portrayal of thoughts and emotions on remembering the loved one………
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Yeah…..
Thanks for complement 🙂
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Welcome Astha!
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Fantastic
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Thank u
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Superb as always.
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Thank u so much
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nice
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Thank u
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Magical words ..
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Thank u
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उत्तम है बहुत आपकी कविता
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