पल पल मेरा दिल घबराता है
ऐसे हाल में अब जिया नहीं जाता है
कैद हूँ पंछी सी पिंजङे में
ऐसे आशियाने में अब रहा नहीं जाता है
पल पल मेरा दिल घबराता है।
अपनी भावनाओ को व्यक्त नहीं कर पा रही
दुनियादारी से बेगानी होती जा रही
कोई अपना बिन समझे ही चला जाता है
शब्दो से एहसास अक्सर लिखा नहीं जाता है
पल पल मेरा दिल घबराता है।
हर रंग कभी-कभी फीका नजर आता है
रोशनी होती है फिर भी अँधेरा छाता है
महफिल में भी मन रुसवा हो जाता है
अपनो की खातिर जीने का ख्याल मुझे जिन्दा कर जाता है
पल पल मेरा दिल घबराता है।
-आस्था गंगवार
👌
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🙂
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Shabdo se ehsaas bakhoobi dikhte hai apke.
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शुक्रिया
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Soooo beautiful 🙂
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Thank u
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Bahut khub
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धन्यवाद
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Reblogged this on poem by heart.
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Aise ahesaso k liye hi y platform he.. Nice one..
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Thank u
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Nyc
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Thank u
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Bhut khoob..
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Thank u
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Very beautiful.
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Thank u so much
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सुंदर शब्द
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धन्यवाद
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Wonderful!!!
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शुक्रिया 😊
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Mera bhi ghabrata hai kavitri priye astha gangwar ji….sachhi bahut sundar kavita h apki…☺
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Bhut khub
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