तुझे याद है ना….. 

कैसे बैठे-बैठे एक दूजे को देखा था 

कैसे मंदिर की चौखट पर तेरा हाथ पकङा था 

कैसे राहो पर हाथ थामे संग संग चले थे 

तुझे याद है ना….. 

कैसे तूने मेरे लिए कविता की पंक्तियां पढी थी 

कैसे तूने उन अल्फाजो में वादे को पिरोया था 

कैसे मैंने पहले मोहब्बत का इजहार किया था 

तुझे याद है ना….. 

कैसे बिना गले न जाऊंगा तूने जिद की थी 

कैसे तेरी खातिर वक्त से लङकर मिलने आयी थी 

कैसे मैंने पलटकर तुझे गले लगाया था 

तुझे याद है ना….. 

कैसे जमाने की परवाह किये वगैर तुझे चूमा था 

कैसे तू कुछ पल को बुत सा खामोश था 

कैसे तूने भी मेरे माथे को चूमकर प्यार जताया था 

तुझे याद है ना….. 

कैसे तूने वो कागज के टुकङे मेरी हथेली पर बार बार रखे थे 

कैसे वो तेरा मुझे छूने का बहाना था 

कैसे मैंने उन्हें तेरी खातिर संजोया था 

तुझे याद है ना….. 

कैसे तूने पहली बार मुझे घूरकर देखा था 

कैसे मैंने तुझे न घूरने को कहा था 

कैसे बताऊं न जानू मैं तूने उस पल क्या सोचा था 

तुझे याद है ना……. 

तुझे याद है ना…….

तुझे याद है ना………

        -आस्था गंगवार 

Astha gangwar द्वारा प्रकाशित

its me astha gangwar . I m founder of this blog. I love to write poems... I m a student of msc to chemical science.... read my poems on facebook - https://www.facebook.com/asthagangwarpoetries/ follow me on - I'm on Instagram as @aastha_gangwar_writing_soul

15 विचार “तुझे याद है ना….. &rdquo पर;

टिप्पणी करे