जिन्दगी में तुम्हारी चाहत की रोशनी हुयी
हम अँधेरो से मिलना भूल गये
तुम ही हो अब मेरी मंजिल का पता
सूनी डगरो पर हम चलना भूल गये
ढूँढती थी आंसमाँ में मोहब्बत का सितारा
तुम जैसा चाँद मिला हम सितारो को निहारना भूल गये
हिलोरे लेती थी मेरी कश्ती जिन्दगी के समुन्दर में
तुम मिले मांझी बनकर हम डगमगाना भूल गये
आँखों से तुम्हारी बफा का दीपक जले
अँधेरी रातो में हम चिराग जलाना भूल गये
गमो के गुलशन में तुम फूल बन मिले
काँटो के दामन में हम फसना भूल गये
मोहब्बत का सावन कुछ ऐसा बरसा
पतझङ की उजङी बहारो से हम मिलना भूल गये
हर घङी तुममें ही कुछ ऐसे उलझे
बेबजह मुकद्दर से हम उलझना भूल गये
संजोया था ख्वाब मुद्दतो तक तेरी खातिर
ख्वाब जब हकीकत बना हम ख्वाब देखना भूल गये
गुम थी बरसो से किसी और जहाँ में
तुम को पाकर मुकम्मल हुये हम खुद को ढूँढना भूल गये।
-आस्था गंगवार
Bahut achhi kavita likhi hai aapne kavitri Astha gangwar ji…so true…
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Dhanyabad kavivar apka 🙂
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Likhi Jo apne itni achi Kavita HM bhi khud ko bhool gye.
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🙂
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Kush naseeb hai woh jisko aisa mohabat mile……bahut achhe!!
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Sukriya
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Hindi is not my mothertongue but your poetries strike a chord in my heart.
Simply beautiful. Give us some more.
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Thanks for reading my poems….
And also thanks for complement… 🙂
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You’re welcome, Astha
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Lovely.
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Thank you
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Welcome
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I am always amazed to see your beautiful work over hindi poetry one of most difficult genre to pen for me.Wonderful poetess👏👏👏
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Thank you so much 😊
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Tum mile to hum jamana bhool gye….kya likha h apne astha ji…great…feeling of love
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