अपने कर लेते है जब दुश्मनो से समझौता
मैंने आग के बगैर आशियाना जलते देखा है
सच्ची बफा न मिले अगर चाहने वाले की
मैंने बिना प्रहार के दिल को टुकङो में टूटते देखा है
लङते है दो वतन जमींनो की खातिर
मैंने फूलो के गुलशन में काँटो को पलते देखा है
दूर चला जाता है जब कोई दिल का करीबी
मैंने शख्स को यादों में धूल सा बिखरते देखा है
जिस्म तो बिकते है इस जमाने में
मैंने लोगों को रूह का सौदा करते देखा है
दुनिया से सच छुपाने की तो फितरत है
मैंने लोगों को खुद से झूठ बोलते देखा है
कठोर बनने की जिद में कुछ का दिल शिला सा है
मैंने पत्थरो से भी आँसुओ को निकलते देखा है
ढेरो खुशियां है दामन में फिर भी दुःखी है
मैंने पागलो को ठोकर खाकर भी हंसते देखा है।
-आस्था गंगवार
A real hard hitting one Astha!!
The line Maine pathar se aasu ko nikalthe dekha hai…..conveys the deep meaning of the poem 👍
पसंद करेंLiked by 2 लोग
मैंने भी एक दिल को छूती नज्म को देखा है।बहुत ही सुन्दर रचना
पसंद करेंLiked by 2 लोग
धन्यवाद 😊
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Nice poetry
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thank you
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
An amazing poem
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thank you 😊
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
What a beautiful poetry.
पसंद करेंLiked by 2 लोग
wow astha tumne kya khub likha
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
अति उत्तम!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
धन्यवाद
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Maine apki kavita ko apki nazaron se dekha h sundar lekhan hai…astha ji
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति