मैंने देखा है….. 

अपने कर लेते है जब दुश्मनो से समझौता 

मैंने आग के बगैर आशियाना जलते देखा है 

सच्ची बफा न मिले अगर चाहने वाले की 

मैंने बिना प्रहार के दिल को टुकङो में टूटते देखा है 

लङते है दो वतन जमींनो की खातिर 

मैंने फूलो के गुलशन में काँटो को पलते देखा है 

दूर चला जाता है जब कोई दिल का करीबी 

मैंने शख्स को यादों में धूल सा बिखरते देखा है 

जिस्म तो बिकते है इस जमाने में 

मैंने लोगों को रूह का सौदा करते देखा है 

दुनिया से सच छुपाने की तो फितरत है 

मैंने लोगों को खुद से झूठ बोलते देखा है 

कठोर बनने की जिद में कुछ का दिल शिला सा है 

मैंने पत्थरो से भी आँसुओ को निकलते देखा है 

ढेरो खुशियां है दामन में फिर भी दुःखी है 

मैंने पागलो को ठोकर खाकर भी हंसते देखा है। 

        -आस्था गंगवार 

Astha gangwar द्वारा प्रकाशित

its me astha gangwar . I m founder of this blog. I love to write poems... I m a student of msc to chemical science.... read my poems on facebook - https://www.facebook.com/asthagangwarpoetries/ follow me on - I'm on Instagram as @aastha_gangwar_writing_soul

12 विचार “मैंने देखा है….. &rdquo पर;

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