तू साथ होता है तो बात बात पर झगङती हूँ
नहीं होता तो तेरा साथ याद करती हूँ
तेरी बेबाक सी बातो को बेपरवाही से सुनकर
यूंही कभी कभी तेरे साथ तो कभी अकेले हंसती हूँ
तेरे साथ खो गयी कहीं मेरी सारी तन्हाइयां
सबको छोङकर सिर्फ तेरा साथ ही चुनती हूँ
रिश्ते की डोर बंधने लगी हम दोनों के दरमियां
बस कभी कभी साथ होने की वजह सोचती हूँ
अकेले बैठ याद आता तेरे साथ बिताया हर पल
और रातो में अक्सर तेरे ख्वाब बुनती हूँ
तू साथ होता तो कुछ बात अलग होती
फिर दूर होने का एहसास महसूस करती हूँ
कभी बातो से तो कभी बिन कहे एक दूसरे का हाल समझते है
दिल मिल गये अब दूरियो की परवाह नहीं करती हूँ
सताती हूँ तुझे जब भी अपनी नादानियों से
सोचती हूँ तकलीफ दी और उदास फिरती हूँ
अकेले बैठ तेरी यादो में अक्सर
अपने प्यार के अफसाने लिखती हूँ।
-आस्था गंगवार
Nice
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Thank you
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Very nice…can I suggest something
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Ha ji bilkul
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How would it sound if you remove that hun
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I can’t remove bcz i write it for someone
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Oh ok…..fine…..may be my Hindi is not as good as yours……
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Its Ok but your paintings really too good 🙂
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Lol…. Thanks for the appreciation….
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🙂 😀
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वाह , बहुत बढ़िया !
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धन्यवाद 😊
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स्वागत रहेगा :))
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Reblogged this on poem by heart.
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very beautiful poem Shivi…..it was a gift for me from your side….thanx for writing a special poem and it is indicating the first step of new my and yours new life
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😊
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Boht hi pyara 🙂
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Thank you
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सुंदर रचना
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शुक्रिया 😊
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Beautiful ❤ bahot achcha likha hai aapne 🙂
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Thank you 🙂
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‘तू साथ होता है तो बात बात पर झगङती हूँ
नहीं होता तो तेरा साथ याद करती हूँ
तेरी बेबाक सी बातो को बेपरवाही से सुनकर
यूंही कभी कभी तेरे साथ तो कभी अकेले हंसती हूँ ‘
क्या बात है आस्था जी बहुत खूब,
शुरुवात में ही बहुत कुछ लिख दिया!
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धन्यवाद 😊
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तह दिल से स्वागत है
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Lajawab dear
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Thank you
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Most welcome
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Bahut join💗
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Sukriya 😊
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Khoob*
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Good power of expression 🙂
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🙂
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nice
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nice very nice
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Thank u
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nice ………….♥
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Thanks 🙂
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