इंसान आज इंसान से भाग रहा है
अपने ही रिश्तो को पैसो से तौल रहा है
रिश्तो में जो मिठास और अपनापन था
उन्हें त्योहारो के नाम से निभा रहा है
इंसान आज इंसान से भाग रहा है।
पहले तो अजनबी का भी आतिथ्य सम्मान होता था
आजकल तो रिश्तेदारो को पानी पूछना भी बोझ लग रहा है
स्वार्थ लोगों की हर आदत में शामिल हो रहा है
इंसान आज इंसान से भाग रहा है
खुद की खुशी से मतलब है दुनिया वालो को
झूठे दिखावे में खुशी ढूँढ रहा है
गरीब भूखा सो जाता है अक्सर
अमीर खाने का तिरस्कार कर रहा है
इंसान आज इंसान से भाग रहा है।
-आस्था गंगवार
बेशक़ सही फरमाया आस्था जी!
फिर भी कुछ अच्छे भी हैं उन्ही पर दुनियाँ क़ायम है!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
हां जी 🙂
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
जी शुक्रिया आस्था जी
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Perfect
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
True….
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Beautiful
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thank you
पसंद करेंपसंद करें
Very true very well expressed !😊
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thank you
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
😊
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
बेहद सही बात
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
हां जी 🙂
पसंद करेंपसंद करें
Beautiful verse. I read slowly cos my Hindi is okay dokey
पसंद करेंपसंद करें
Awesome…..
It’s true
But there are exceptions.nicely written aastha ji
पसंद करेंLiked by 2 लोग