प्रीत की लत मोहे ऐसी लागी
जहाँ देखूं मोरा पिया नजर आए
तेरे प्रीत की धानी चादर ओढे
मेरी लम्बी रैना कट जाए
साँस -साँस तेरा नाम पुकारे
मोरा सांवरिया रोम -रोम में बस जाए
भँवरा बन मन फिरे बाँबरा
तेरी बगिया में प्रीत के सुमन खिलाए
विस्मृत स्मृति की जब वर्षा होवे
सुदूर गगन में इन्द्रधनुष बन जाए
तेरे शब्दो का जब बाजे संगीत
मेरे अधर ताल पर ताल मिलाए
नीले अम्बर पर जब काली बदरी छाए
ह्दय व्याकुल आतुर हो जाए
प्यासी अखियां राह निहारे
कहीं से मोरा बालम आ जाए
-आस्था गंगवार
Enjoyed reading it….
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Thanks for reading 😃
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My Pleasure 🙂
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Bahut sundar likha aapne…thankx dear
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nice lines yaar
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Sundar…😘
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Thank you 😘
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Reminds me Kailash khers song….. Nice
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Yes, mai diwani………
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अति सुंदर सृजन आस्था जी
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Sukriya 😊
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दिल फरेब आशिक पर लिखी गयी ये रचना बहुत ही मार्मिक है,
बहुत खूब आस्था जी!
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धन्यवाद 😊
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Welcome.
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बहुत सुंदर। प्रथम पंक्ति को कई लोगों ने आवाज दी है लेकिन आपने मौलिकता बरकरार रखा है।
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Dhanyabad 😃
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Bahut khoob!!
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Dhanyabad 😃
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Wah
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Thanks 🙂
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Bahut khub
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Dhanyabad 😃
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Too good
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Thank you
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😊
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