हर क्षण है अति लघु,
समाई है विराट संभावनाएँ
हर क्षण है बेशकीमती उपहार,
समाया जिसमे जीवन का सार
हर संभावना होगी साकार,
सर्वोच्चय स्तर पर सुनियोजन करे संसार
सीखी जिसने इस दुर्लभ कुंजी के सुनियोजन की कला,
सफलता की दहलीज पर है उसने कदम रखा
विलक्षणता से परिपूर्ण क्षण का तोहफा,
लगता है गूढ, रहस्यमय और अनूठा
है नहीं कोई अनभिज्ञ क्षण से,
सब कुछ है जाना पहचाना
अदृश्य पहलू समेटे क्षण की अबूझ पहेली को,
बाकी है अभी सुलझाना
हममे से है कुछ बिरले,
जो इसको सुलझा पाते
मानव के स्तर से उठकर,
वो देवमानव है बन जाते
है नहीं कोई क्षण एकसमान,
एक या दूसरे मायने में हर क्षण है भिन्न
आज ओंठो पर हंसी खिलखिलाती,
कल नयनो में नीर झिलमिलाता
सुख के दिन है छोटे लगते,
दुःख की निशा है लगती लम्बी
दुःख में कमजोर कलेजे संतुलन खो बैठते,
घबराकर आस्तिक होने का दावा करते
विश्वास उन्हें न तो स्वयं पर,
न ही है भगवान पर
ईश्वर की शरण में जाने का बस बहाना खोजते
दुःख के क्षण भी है रंगो में रंगे रंगीन उपहार,
जीवन को दे रहे नयी शोभा, आकर्षण
इन क्षणो का है अलग अंदाज ,अनुभव
आने वाले क्षणो में बनेगा एक धरोहर
उदासीन, खिन्न न होकर करना है आत्मपरिष्कार
निराशा के अँधेरे क्षणो को चीरकर
अाशा की किरणो से जीवन को करना है चमकदार।
-आस्था गंगवार
बहुत खूब आस्था जी
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कयी धूप छाव लिये जीवन चलता है !
छन भर की बात है प्रतिपल रंग बदलता है .
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