प्रीत न लगाना किसी से
अगर प्रीत निभा न सको
हाथ थामकर चलने की बात न करना किसी से
अगर हाथ थामकर चल न सको
वादा न करना किसी से
अगर वादे पर अमल कर न सको
हमराही बनने की बात न करना किसी से
अगर सूनी राहो पर मिल न सको
ओंठो की मुस्कान बनने की बात न करना किसी से
अगर प्यार का रंग भर न सको
महफिल में साथ निभाने की बात न करना किसी से
अगर तन्हायी मे साथ दे न सको
चाहत की लम्बी कहानी न कहना किसी से
अगर ढाई अक्षर प्रेम के कह न सको
जज्बात पढने की बात न करना किसी से
अगर बेजुबाँ नैनो को पढ न सको।
-आस्था गंगवार
Nice
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
beautifull thoughts….nicely written….best of the one poem…..astha jiiiiiiiiii……..
पसंद करेंLiked by 2 लोग
Thank you 😊😊
पसंद करेंपसंद करें
That’s fine one!!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thank you
पसंद करेंपसंद करें
आपकी कविताओं में बहुत दर्द छिपा होता है आस्था जी,बहुत खूब लेखन शेली है आपकी.
वाकई आप बधाई के पात्र हैं!
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Sukriya
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Swagat hai aapka.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
WoW!! I love this verse & always good to read hindi poetry that is rare to see here.👌😊
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thanks for reading my poems
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Oh! You write so profound poetries…thanks for connecting!!😊
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Reblogged this on Nelsapy.
पसंद करेंपसंद करें