कहने को तो मैं हूँ पर मुझमे है सांसे तेरी
ना जाने तू कौन है शायद कबूल की हुई दुआ मेरी
तेरे साथ चलने से हर मुश्किल राह आसान लगती है
जिन्दगी की आजमाइशो से भी अपनी पहचान लगती है
चल दूर चले कहीं जहाँ सिर्फ तेरी मेरी कहानी हो
न ख्वाहिशे न बंदिशे बस अपनी उङाने हो
तू मुझमे जिये मैं तुझमें जिऊं ऐसे अपने तराने हो
तेरा गम हो मेरा, मेरा गम हो तेरा ऐसे नजराने हो
जिन्दगी मुस्कुराए हर रोज जैसे मुस्कुराए कलियां
साथ हम चले हर रोज जैसे सूरज संग किरणे
तेरा मेरा रिश्ता हो ऐसे जैसे दिया और बाती
रब से कहूं हर जन्म मैं तेरे लिए ऐसे ही जी पाती
क्या क्या मांगू तेरे लिए तेरी खुशी से ही मैं मुस्कुराती
तेरा जीना मेरा जीना मेरे जीने में हो इबादत तेरी
ना जाने तू कौन हैं शायद कबूल की हुई दुआ मेरी
कहने को तो मैं हूँ पर मुझमे है सांसे तेरी।
-आस्था गंगवार
beautiful poem nicely written
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दिल से निकले ज़ज़्बात,अभूत खूब आस्था जी
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Sukriya
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